औदीच्‍य रत्‍न पं; मुकुन्‍दराम जी त्रिवेदी


     इन्‍दौर के मुकुन्‍दराम त्रिवेदी औदीच्‍य छात्रावास के जनक पं; मुकुन्‍दराम जी त्रिवेदी औदीच्‍य समाज के गौरवशाली रत्‍न है। आपने श्री लालजी साहब की प्रेरणा से औदीच्‍य समाज के होनहार युवाओं के उच्‍च शिक्षण हेतु मध्‍यप्रदेश के प्रमूख नगर इन्‍दौर में छा्त्रावास हेतु अमूल्‍य दान देकर समाज की बहुत बडी सेवा की । यहां पिछले अनेक वर्षो से प्रतिभाशाली छात्रों ने उच्‍च अध्‍ययन करते हुए समाज का गौरव बढाया है। आज यह छात्रावास इन्‍दौर के औदीच्‍य समाज के श्रेष्‍ठतम भवनों में से है।

    ऐसे राजमान्‍य ,धर्मपरायण पं; मुकुन्‍दरामजी त्रिवेदी का जन्‍म सन 1861 में जाति प्रमुख पं; भवानीशंकरजी त्रिवेदी के यहां हुआ थ। 1916 में हिन्‍दी साहित्‍य का अष्‍टम अखिल भारतीय सम्‍मेलन महात्‍मा गांधी के सभापवित्‍व में इन्‍दौर में आयोजित किया गया था । जिसके सफल संचालन में आपका योगदान प्रमुख रहा तथा गांधीजी आपके निवास पर पधारे । आपकी प्रतिभा से प्रभावित महाराजा होलकर ने आपको इन्‍दौर नगर के आनरेरी मजिस्‍ट्रेट के पद पर पदस्‍थ किया। 1936 में पं; मदनमोहन मालवीय भी आपके निवास पर पधारे थे ।

     अ;भा;औदीच्‍य महासभा के बडनगर अधिवेशन में आपको महासभा का अध्‍यक्ष मनोनित किया गया था1 17 जून 1972 को आप शतायु होकर आप ब्रहमलीन हुए । आप ज्ञाति सेवा में सदैव अग्रणी रहे । आप औदीच्‍य समाज के सच्‍चे हित चिन्‍तक थे। इन्‍दौर में महासभा के अधिवेशन में अपने श्री लालजी साहब की प्रेरणा से छात्रावास के लिए 21 हजार की रकम दान देने की घोषणा की । साहब ने सभा भवन मे आपके हाथ को उठाकर गदगद स्‍वर में कहा आपका जीवन सफल होगया ।
 मुकुन्‍दराम छात्रावास आपके सुयश का साक्षी है।
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